Sunday 9 October 2016

अहंकार की बातें

जब व्यक्ति अपनी उपलब्धियों इतरने लगता है, उन्हे प्रेरणा की बजय प्रतिष्ठा के रूप मे भुनाने की कोशिस करने लगता है तो   उसे यह समझ लेना चाहिए की उसके अंदर का अहंकार का संचार होना शूरू हो गया है इस अहंकार के वजह से व्यक्ति और अधिक नही सिख नही पता है और कई बार तो जो उसने सिख लिया है उसे भी कार्यान्वित कर पाने मे आसफल रहता हैं मशहूर आमेरीकि लेखक और वक्ता जॅन कैल्विन मैक्सवेल का मानना है की गुर्व बुरा है जो हमारे अंदर श्रेष्ठता की भावना जागृत करता है इस भावना के चलते व्यक्ति अपने आप को बाकी सबसे उपर और परिपूर्ण समझने लगता है इससे इंसान के सवभाव मे अक्खड़पन आ जाता है उसका और अधिक सीखने की चाहत भी ख़तम हो जाती है इसके कारण वह आती आत्मवीस्वास ग्रस्त हो जाता है ये सब मिलाकर उसके विकाश की गुंजाइश समाप्त हो जाती है और उसकी उपलब्धियों भी वही रह जाती है व्यवहार में अहंकार का नकारात्मक प्रभाव काफी व्यापक है मगर इसका करना तत्व काफ़ी छोटा है इसे समझने के लिए हमे आयरलैंड के उपन्यासकार कलिव स्टेप्लस लेविस के बतो पर गौर करना होगा वह कहते हैं की अहंकार आपके पास कुछ होने के प्रसन्नता के करना नही पनपता , बल्कि यह सामने वाले से ज़्यादा आपके पास होने की  प्रसन्नता कारण पनपता है वह आगे कहते है यह प्रतिद्वंदिता का ही तत्व है जो हमे अनहकारी बनता है और अगर यह चल गया तो अहंकार भी ख़तम हो जाएगा |' व्यक्ति का अहंकार रहित होना उसकी तरक्की की बुनियादी जरूरतों मे से एक है इसलिए हमे हमे अपनी उपलब्धियों को विनरमातापूर्वक ग्रहन कर , उन्हे प्रेरणा के रूप मे उपोग कर, उनसे आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, ना की उनपर घमंड करके वही पर वही ठिठक जाना चाहिए

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